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मुंबई में स्कोलियोसिस का उपचार - डॉ. विशाल कुंदनानी

मुंबई में स्कोलियोसिस उपचार - डॉ. विशाल कुंदनानी

स्कोलियोसिस क्या है?

स्कोलियोसिस में रीढ़ की हड्डी पार्श्व दिशा में मुड़ जाती है, जिससे सामने/पीछे से देखने पर "S" या "C" आकार दिख सकता है। स्वस्थ रीढ़ सामने/पीछे से सीधी दिखती है और साइड से ऊपरी हिस्से में स्वाभाविक गोलाई तथा निचले हिस्से में हल्का अंदर की ओर घुमाव दिखता है।

एक अग्रणी स्कोलियोसिस सर्जन के रूप में, डॉ. विशाल कुंदनानी जटिल स्पाइनल विकृतियों के उन्नत सुधार में विशेषज्ञ हैं और व्यापक मूल्यांकन से लेकर सर्जिकल करेक्शन तक समग्र देखभाल प्रदान करते हैं।

स्कोलियोसिस के कारण

स्कोलियोसिस के कारण - डॉ. विशाल कुंदनानी

जन्मजात (Congenital): जन्म के समय मौजूद हड्डी की असामान्यता।

न्यूरोमस्कुलर: मांसपेशी/नस संबंधी रोग जैसे सेरेब्रल पाल्सी आदि।

डीजेनेरेटिव (एडल्ट): उम्र के साथ हड्डियों का घिसना, ऑस्टियोपोरोसिस, चोट/पुरानी सर्जरी के कारण।

इडियोपैथिक: सबसे सामान्य प्रकार, कारण अज्ञात पर आनुवंशिक प्रवृत्ति की संभावना।

किसे होता है स्कोलियोसिस?

अक्सर किशोरावस्था (10–16 वर्ष) में पहचाना जाता है। लड़कियों में अधिक आम। गंभीर कर्व (>40°) पर सर्जरी पर विचार किया जाता है। कई मामलों में बढ़त रुकने पर स्थिर हो जाता है।

स्कोलियोसिस के लक्षण

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    कंधों/कमर की असमानता, एक कंधा अधिक उठा हुआ
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    एक ओर झुकाव, लंबे समय तक बैठने/खड़े रहने पर थकान
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    झुकने पर एक तरफ पसलियों का उभरा हुआ दिखना (रिब हंप)

उपचार विकल्प

ऑब्ज़र्वेशन

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    माइल्ड कर्व (<20°) और बिना लक्षण के मामले

ब्रेसिंग

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    बच्चों/किशोरों में 20°–40° कर्व की प्रगति रोकने हेतु

फिजियोथेरेपी

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    पोश्चर, मांसपेशी शक्ति और लचीलापन सुधार

सर्जिकल उपचार

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    गंभीर कर्व (>40°–50°) या प्रगति पर सर्जरी; स्पाइनल फ्यूजन आम

मुंबई में स्कोलियोसिस केयर

जल्दी निदान और सही योजना से परिणाम बेहतर होते हैं। अपॉइंटमेंट के लिए यहाँ संपर्क करें


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